मैं गलत हूं...

 


सोने से पहले good night, 
उठते ही good morning तुझे बोलता था,
इतने दिन तक साथ थे कुछ तो इनाम मिलना था,
ज्यादा बड़ा स्वार्थ मेरा नहीं है, 
बस कहीं बुराई तो ना करती, 
कहीं तो बढ़ाई करती, 
और मैं इतना गलत हूं,
चलो मान लिया,
एक बार तेरे आच्छे काम गिणवाइये।।

ऐसा क्या हुआ देखकर जो तुम देखते नहीं,
नजरों से नजरें क्यों मिलती नहीं,
बातें बनाने में हो no. 1
कहानी झूठी ही सही कुछ तो बनाइए, 
बाबू, कैंडी, सेंटी से 
बेपरवाह, बेज्जबाती, बेहया तक कैसे पहुंचे बात, 
ये तो बताइए। 
मैं गलत हूं मान लिया 
एक बार तेरे आच्छे काम गिणवाइये।।

कहते हैं घर जिनके शीशे के हो, 
दूसरों के घरों पर पत्थर नहीं मारते,
हो पतारा राज जिनको झगड़े उनसे नहीं करते,
है सामने वाले में कितनी अच्छाई, कितनी बुराई परख लेते हैं 
बस मूंह ना खुलवाईये।
मैं गलत हूं मान लिया
एक बार तेरे आच्छे काम गिणवाइये।।

टिप्पणियाँ

Shayri

सुना है

कोशिश एक और कर

हमे भी वही जाना था